येति का कोई सबूत अब तक नहीं

लेकिन, येति का क़िस्सा यहां भी ख़त्म नहीं होता. 2011 में रूस के पर्वतारोहियों के एक दल ने येति के होने के पक्के सबूत जुटाने का दावा किया था.
लेकिन, व्लादिमिर डाइनेट्स कहते हैं कि ये तो सिर्फ़ प्रचार का स्टंट था. रूस के पास येति के कोई सबूत नहीं थे.
डाइनेट्स कहते हैं कि, 'क़रीब दो दशकों तक लोग येति की तलाश में हिमालय की सैर को आते रहे. येति के नाम पर ताजिकिस्तान और किर्गीज़िस्तान के गांवों में एक शख़्स को जानकार घोषित कर दिया जाता है. वो आने वाले सैलानियों को येति के गढ़े हुए क़िस्से सुनाकर दूर पहाड़ियों में ले जाता है. ऐसा करने वाले ख़ूब पैसे कमाते हैं.'
कुल मिलाकर कहें तो येति या हिममानव के होने के पक्के सबूत अब तक नहीं मिले हैं. लेकिन, बहुत से लोगों को लगता है कि हिमालय की गोद में येति छुपा हुआ है.
हो सकता है कि लोगों ने भालुओं को देख कर ही येति की कल्पना कर ली हो.
बार्नेट मानते हैं कि लोगों ने विशाल भालुओं को देखकर येति की कल्पना की होगी. जब इसमें इंसान के क़िस्से सुनने की दिलचस्पी जुड़ी तो हिममानव के क़िस्से को और भी बल मिला.
भोपाल से भाजपा प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर पर चुनाव आयोग ने 72 घंटों के लिए प्रतिबंध लगा दिया है.
26-11 हमले में दिवंगत अधिकारी हेमंत करकरे और बाबरी मस्जिद पर विवादित बयान के मामले में आयोग ने यह कार्रवाई की है.
चुनाव आयोग ने अपने आदेश में उनके बयानों की कड़ी निंदा की है औ 72 घंटों के लिए उन्हें जनसभाएं करने, जुलूस निकालने, रोड शो करने और साक्षात्कार देने से रोक दिया है.
यह प्रतिबंध 2 मई की सुबह 6 बजे से शुरू हो जाएगा.
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए साध्वी प्रज्ञा ने कहा है, "कोई बात नहीं है. मैं तो उसका सम्मान करती हूं."
साध्वी प्रज्ञा ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा था, "मैंने ढांचे पर चढ़कर उसे तोड़ा था. मुझे गर्व है कि ईश्वर ने मुझे अवसर दिया और शक्ति दी और मैंने यह काम कर दिया. अब वहीं राम मंदिर बनाएंगे."
प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश की एक चुनावी रैली में राहुल गांधी पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा, "जो लोग 50-55 सीटें लेकर विपक्ष का नेता तक नहीं बन सके वो प्रधानमंत्री बनने के लिए दर्जी के पास कपड़े सिला रहे हैं."
बहराइच में दिए भाषण में मोदी ने कहा, "इन लोगों को 2014 में भी सत्ता नहीं मिली और 2019 में भी नहीं मिलेगी."
इससे पहले उन्होंने बिहार के मुजफ़्फ़रपुर में एक चुनावी रैली को संबोधित किया.
यहां उन्होंने कहा, "जो जेल में हैं, जो जेल के दरवाजे़ पर हैं, जो बेल पर हैं, जो बेल के लिए कोर्ट के चक्कर काट रहे हैं वो सब केंद्र में एक मज़बूत सरकार को एक मिनट भी बर्दाश्त नहीं करना चाहते."
उन्होंने कहा कि 'चार चरण के बाद ये लोग चारो खाने चित हो चुके हैं, अब आने वाले चरणों में तय होना है कि उनकी हार कितनी बड़ी होगी और एनडीए की जीत कितनी भव्य होगी.'
मंगलवार को उनकी एक और चुनावी रैली उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में होनी है.
इस बीच मोदी और अमित शाह के उपर आचार संहिता उल्लंघन के आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है.
कांग्रेस सांसद सुश्मिता देव ने इस बारे में एक याचिका दायर की थी. अगली सुनवाई 2 मई को होनी है.
यूपी में कांग्रेस और सपा-बसपा गठबंधन नहीं होने के बाद अब मध्यप्रदेश में भी बसपा और कांग्रेस के संबंध में कड़वाहट दिखने लगी है. ताज़ा मामला गुना-शिवपुरी के बसपा उम्मीदवार से जुड़ा है.
कांग्रेस के महासचिव और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना-शिवपुरी से चुनाव लड़ रहे हैं. बसपा ने वहां लोकेंद्र सिंह राजपूर को टिकट दिया था. लेकिन चौथे चरण के चुनाव हो जाने के ठीक एक बाद कांग्रेस ने मायावती को बड़ा झटका देते हुए लोकेंद्र सिंह राजपूर को पार्टी में शामिल करवा लिया है.
मायावती ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस ने बसपा उम्मीदवार को डरा-धमका कर पार्टी में शामिल करवाया है. उन्होंने मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया कि वो सरकारी मशीनरी का ग़लत इस्तेमाल कर उनके लोगों को परेशान कर रही है.
गुना-शिवपुरी में 12 मई को चुनाव होगा. मायावती शनिवार को गुना में रैली करने वाली थीं, लेकिन अब वो क्या करेंगी पता नहीं.
ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना से चार बार सांसद रह चुके हैं. इस बार उनका मुक़ाबला भाजपा के केपी यादव से है. केपी यादव भी एक ज़माने में सिंधिया के ख़ास हुआ करते थे.
समाजवादी पार्टी ने शालिनी यादव की जगह फौजी तेज बहादुर यादव को अपना उम्मीदवार घोषित किया है.
तेज बहादुर यादव वाराणसी से निर्दलीय उम्मीदवार थे लेकिन अब समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है.
दो साल पहले बीएसएफ़ जवान तेज बहादुर यादव का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था.
इस वीडियो में तेज बहादुर फ़ौजियों को मिलने वाले खाने की शिकायत कर रहे थे. वो बता रहे थे कि उन्हें कैसी गुणवत्ता का खाना दिया जाता है.
तेज बहादुर ने बताया था कि अफसरों से शिकायत करने पर भी कोई सुनने वाला नहीं है यहां तक कि गृहमंत्रालय को भी चिट्ठी लिखी लेकिन कुछ नहीं हुआ.
तेज बहादुर के उस वीडियो के बाद सेना सहित राजनीतिक गलियारों में कुछ दिन तक हलचल मच गई थी. सेना ने इस मामले की जांच के आदेश दिए थे और बाद में तेज बहादुर को बीएसएफ़ से निकाल दिया गया था.

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